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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : istock
विस्तार
उत्तर प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों को फैकल्टी (संकाय सदस्य) की कमी से जुर्माना भरना पड़ा है। इसके बावजूद आठ संकाय सदस्य शिक्षण कार्य के बजाय महानिदेशालय में फाइलें पलट रहे हैं। इनके महानिदेशालय से संबद्ध किए जाने से संबंधित कॉलेज में एमडी की सीटों की अनुमति भी नहीं मिल पा रही है।
मेडिकल कॉलेजों के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम (एईबीएएस) लागू किया है। इसी आधार पर शिक्षकों की कमी मानते हुए एनएमसी ने कॉलेजों पर जुर्माना लगाया था। कई कॉलेजों को एमबीबीएस और एमडी की सीटें बढ़ाने की अनुमति भी संकाय सदस्यों की से नहीं मिली है। जहां पीजी सीट की अनुमति मिली है, वहां भी प्रशिक्षण सुचारु रूप से चलने की संभावना नहीं है।
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एमबीबीएस पहले वर्ष में एनोटॉमी, फिजियोलॉजी, फार्मोकोलॉजी और बायोकेमेस्ट्री विभाग की ही पढ़ाई होती है। इसके बाद भी संकाय सदस्य महानिदेशालय में डटे हैं। महानिदेशालय इनकी संबद्धता के पीछे काम का अधिक दबाव बता रहा है।
कुछ को सता रहा कॅरिअर का डर
महानिदेशालय से संबद्ध कुछ संकाय सदस्यों को तो यहां अच्छा लग रहा है, पर कुछ अपने कॅरिअर को लेकर चिंतित हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक सदस्य ने बताया कि असिस्टेंट से एसोसिएट प्रोफेसर और एसोसिएट से प्रोफेसर होने के लिए शिक्षण कार्य के अनुभव के साथ ही शोध कार्य भी होना चाहिए। पदोन्नति में जहां से वेतन मिल रहा है, वहां से हाजिरी भी देखी जाएगी। ऐसे में कई संकाय सदस्यों को संबद्धता के चक्कर में कॅरिअर प्रभावित होने का भय सता रहा है। वहीं, करीब दो माह पहले महानिदेशालय से संबद्ध चार फैकल्टी को उनके मूल तैनाती वाले कॉलेजों में भेजा दिया गया है। वे कुछ समय के लिए यहां से चले भी गए, पर माहभर बाद ही वे फिर महानिदेशालय में मंडराते रहते हैं।
महानिदेशालय से संबद्ध संकाय सदस्य
– डॉ. आरएस राजपूत : उप्र. आयुर्विज्ञान विवि सैफई के फिजियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर हैं। इनके नाम पर पीजी की सीटें स्वीकृत हुई हैं।
– डॉ. आलोक कुमार पाल : स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय बहराइच के फिजियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। नियमानुसार विभाग में चार फैकल्टी होने चाहिए, पर कॉलेज में सिर्फ दो हैं।
– डॉ. राजेंद्र कुमार : राजकीय मेडिकल कॉलेज फिरोजाबाद के फार्माकोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। यहां भी चार की जगह सिर्फ दो फैकल्टी हैं।
– डॉ. अरविंद कुमार पाल : ये भी फिरोजाबाद में फिजियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। यहां भी चार की जगह सिर्फ दो फैकल्टी हैं।
– डॉ. राहुल- स्वशासी मेडिकल कॉलेज प्रतापगढ़ के फिजियोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। विभागाध्यक्ष का भी चार्ज है। यहां चार की जगह अब सिर्फ संविदा पर एक फैकल्टी है।
– डॉ. विपिन कुमार : प्रतापगढ़ स्थित मेडिकल कॉलेज के एनोटॉमी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। यहां भी चार की जगह सिर्फ दो फैकल्टी हैं।
– डॉ. दीपक कुमार : राजकीय मेडिकल कॉलेज सहारनपुर के माइक्रोबायोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
– डॉ. इंदुश्री : राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के एनोटॉमी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय के महानिदेशक किंजल सिंह का कहना है कि महानिदेशालय के कामकाज को सुचारु रूप से चलाने के लिए फैकल्टी को यहां संबद्ध किया गया है। जब यहां जरूरत नहीं होगी तो संबंधित कॉलेज भेज दिया जाएगा। पुनर्गठन होने पर महानिदेशालय में भी कुछ पद सृजित हो जाएंगे। तब संबद्धता की जरूरत नहीं पड़ेगी।